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प्रसव के पड़ाव और तैयारी कैसे करें?

प्रसव के 4 पड़ावों के बारे में जानें और इसके हर पड़ाव में शिशु जन्म के सहज अनुभव के लिए कैसे तैयार रहे। 

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Dr. Monika Meena

महत्वपूर्ण बातें

पहला पड़ाव

फैलाव (डायलेशन) के तीन चरण होते हैं - प्रारंभिक, सक्रिय और संक्रमण, जो सर्विक्स के फैलाव और संकुचन की तीव्रता से मापे जाते हैं।

दूसरा पड़ाव

जब सर्विक्स पूरी तरह फ़ैल जाता है, तब डिलीवरी की शुरुआत होती है ;इस समय आपको बच्चे को जन्म नली के रास्ते से धकेलना शुरू करना चाहिए।

तीसरा पड़ाव

जन्म के बाद नाल का निकलना और अगले 30 मिनट तक हल्के-हल्के संकुचन का अनुभव होता है।

चौथा पड़ाव

डिलीवरी के बाद रिकवरी में कई घंटे लग सकते हैं, जिसमें बच्चेदानी में संकुचन और रिकवरी पर ध्यान देना चाहिए; स्तनपान से इसमें सहायता मिल सकती है।

तैयारी के टिप्स

हाइड्रेटेड रहे,आराम करें और प्रसव के दौरान स्थिति का सामना करने के लिए चाइल्ड बर्थ क्लासेज लें।

In this article

  • प्रसव के संकेतों को समझें
  • प्रसव का पहला पड़ाव
  • प्रसव का दूसरा पड़ाव
  • प्रसव का तीसरा पड़ाव
  • प्रसव का चौथा पड़ाव

नमस्ते माताएं ! आपके बच्चे को इस दुनिया में लाने के लिए गर्भावस्था का आखिरी पड़ाव , प्रसव होता है जिससे आपके शरीर को गुजरना होता है। शिशु जन्म के लिए आपके शरीर को कई शारीरिक बदलाव से गुज़रना होता है जैसे कि सर्विक्स के फैलाव से लेकर संकुचन तक और फिर शिशु का जन्म होता है। हर महिला के प्रसव का अनुभव अलग होता है और सबका समय, प्रयास और पड़ाव भी अलग होता है।

प्रसव को आमतौर पर चार पड़ावों में बांटा गया है ,और इन पड़ावों को समझने से आप अधिक व्यवस्थित और सरल महसूस करेंगे। असरदार नियोजन,सहायता समूह,और जागरूकता, प्रसव के महत्वपूर्ण भाग हैं जिससे आपका अनुभव अधिक सरल और सकारात्मक होता है। 

प्रसव के संकेतों को समझें 

जैसे ही आपकी नियत तिथि करीब आती है, तो आपको शिशु के डिलीवरी के ख्याल से उत्साहित और घबराहट महसूस करना स्वाभाविक है। पर आपको कैसे पता चलेगा कि कब समय हो गया है? हर महिला के लिए इसके संकेत अलग हो सकते हैं, पर कुछ आम संकेतक होते हैं ,जिनका आपको ध्यान देना चाहिए :
 

  • मासिक-धर्म की तरह ऐंठन या कमर में हल्का दर्द जो बार-बार आ रहा हो। 
     
  • नियमित संकुचन से तुरंत पहले पेट में एक नकली प्रसव पीड़ा, जिसे ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन कहा जाता है। 
     
  • संकुचन, जो समय के साथ अधिक नियमित और तीव्र होता जाता है। 
     
  • बहुत कम मात्रा में एक रक्त के धब्बे जैसा स्त्राव जिसे "शो" कहा जाता है ,जैसे ही म्यूकस प्लग बाहर  निकलता है। 
     
  • दस्त या डायरिया। 
     
  • अगर आपके पानी की थैली फट जाती है तो कुछ बहाव या टपकने का एहसास।

जब प्रसव शुरू हुआ है या नहीं,इसे लेकर शक हो तो सहायता के लिए अपने चिकित्सक से बातचीत करना बेहतर होता है। वे आपकी परिस्थिति के अनुसार आपको कब अस्पताल जाना है ,ये बता सकते हैं। 

प्रसव का पहला पड़ाव

इसमें प्रारम्भिक प्रसव,सक्रिय प्रसव और संक्रमण चरण शामिल होते हैं।

प्रारम्भिक प्रसव
 

प्रसव के पहले चरण के दौरान ,आपका शरीर डिलीवरी की तैयारी के लिए सर्विक्स का फैलाव करता है। प्रारम्भिक प्रसव के संकेतों में हल्के, अनियमित संकुचन और सर्विक्स का 2-4 सेंटीमीटर तक फैलाव होना शामिल है। इस पड़ाव पर ऐंठन या कमर दर्द जैसे दर्द होते हैं जो कई घंटों या कई दिनों तक चल सकते हैं। इस चरण में आपको शांत रहना,अच्छी नींद लेना और बहुत पानी पीना आवश्यक होता है।

सक्रिय प्रसव 
 

सक्रिय प्रसव के दौरान,आपका सर्विक्स 4-7 से.मी. तक फैलता है। हर 3 से 5 मिनट के अंतराल पर संकुचन अधिक तीव्र और नियमित होते जाते है। इस पड़ाव में चार से आठ घंटे बीत जाते हैं। आप पोजीशन बदलकर, गहरी साँसों का अभ्यास करके और अपने सहायता समूह पर निर्भर रहकर दर्द को संभाल सकते हैं। गहरी,धीमी सांसें लेने की कोशिश करें ; नासिका से सांस लें और मुँह से बाहर निकालें। शांत और केंद्रित रहते हुए, एक लय के साथ इसे दोहराएं।

संक्रमण का पड़ाव 
 

इस पड़ाव में आपका सर्विक्स 8-10 से.मी. तक फ़ैल जाता है। औसतन हर 2-3 मिनट पर संकुचन होता है और इसकी तीव्रता अत्यधिक होती है। इस पड़ाव पर बहुत ज्यादा दबाव महसूस हो सकता है और खुद मेहनत करने की ज़रूरत भी पड़ सकती है। यह समय 30 मिनट से 2 घंटे तक चल सकता है। यह सबसे छोटा परन्तु सबसे कठिन समय होता है। आप अपने शिशु को नीचे धकेलना शुरू करेंगे, इसलिए अपने सांस पर ध्यान दें और अपने सहायता समूह पर भरोसा रखें। 
 

प्रसव का दूसरा पड़ाव

प्रसव का दूसरा चरण तब शुरू होता है जब सर्विक्स पूरी तरह खुल जाता है और आपको शिशु को जन्म के रास्ते से धकेलना शुरू करना पड़ता है। प्रसव के इस पड़ाव पर, जैसे-जैसे शिशु नीचे आता है,आपको ताकत लगाने की ज़रूरत पड़ सकती है। शिशु के पोजीशन के हिसाब से आपको इस पड़ाव में कुछ मिनट से कई घंटों तक का समय लग सकता है।

अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ या चाइल्ड बर्थ क्लास में धकेलने की प्रक्रिया का अभ्यास करना फायदेमंद हो सकता है। प्रयास करने के लिए ऊर्जा और तरल पदार्थ को बरकरार रखना महत्वपूर्ण है और अपने नर्स और डॉक्टर के टीम से खुलकर बातचीत करने से, आपको इस पड़ाव से स्पष्टता और सहयतापूर्वक निकलने में मदद मिलती है।

प्रसव का तीसरा पड़ाव

डिलीवरी के बाद, प्रसव का तीसरा पड़ाव तब शुरू होता है, जब नाल बाहर आता है। यह साधारणतः शिशु-जन्म के 5-30  मिनट के बाद होता है। इस पड़ाव में,बच्चादानी सिकुड़ता है ताकि नाल को बाहर निकाल सके। नाल को पूरी तरह से बाहर निकाला जाता है ताकि कोई जटिलता न उत्पन्न हो और इस प्रक्रिया के दौरान हल्के संकुचन से आपको मदद मिलती है। हालांकि यह संकुचन अब तीव्र नहीं होता है, इसलिए आप अपने शिशु के शुरूआती हलचल का आनंद ले सकते है। सुनिश्चित करें कि आप त्वचा का स्पर्श लें और अगर चाहें तो स्तनपान भी कराएं।  इससे आपके गर्भाशय के संकुचन में बढ़ावा मिलेगा और नाल के बाहर निकलने में आसानी होगी। 

प्रसव का चौथा पड़ाव

प्रसव के चौथे पड़ाव पर,जिसे प्रसवोत्तर रिकवरी समय कहा जाता है , इसमें आपका शरीर जन्म देने के बाद भरने और ठीक होने की कोशिश करता है। इस अवधि में,बच्चादानी सिकुड़ता है जिससे कि दर्द होता है। इससे आपके बच्चादानी को पहले जैसे आकार का होने में मदद मिलती है। आपको लोचिया या रक्तबहाव भी हो सकता है, जिसमें आपका शरीर गर्भाशय की परत को बाहर निकालता है। आप आराम कर सकते हैं, जिससे आपके चिकित्सक आपके महत्वपूर्ण संकेतों को जांचेंगे ताकि यह सुनिश्चित कर पाएं कि कुछ भी गलत नहीं है। इस पड़ाव पर आराम और रिकवरी के लिए योजना बनाना ज़रूरी है। 

प्रसव के पड़ावों के दौरान दर्द-प्रबंधन के तरीकें

प्रसव एक तीव्र और भावावेश अनुभव हो सकता है ,परन्तु कई दर्द-प्रबंधन के तरीके होते हैं जिनकी सहायता से आपको इससे उबरने में मदद मिलेगी। कुछ महिलाएं गैर-औषधीय विधियों का उपयोग करती हैं जैसे कि प्राणायाम,मालिश और हिप्नोथेरपी, जबकि कुछ महिलाएं औषधियों का इस्तेमाल पसंद करती हैं, जैसे कि एपीड्यूरल या नाइट्रस ऑक्साइड।

प्रसव के प्रारम्भिक पड़ावों के दौरान,कुछ आराम देने वाले तकनीकें, असहजता संभालने और शांति की अनुभूति के लिए बेहद मददगार होती  है। लयबद्ध सांस लेने की प्रक्रिया,दृश्यकरण और धीरे-धीरे मांसपेशियों के ढीले होने के प्रक्रियाओं से आपके तनाव और घबराहट को कम करने में बहुत मदद मिलती है।

प्रसव के लिए तैयार होना: क्या उम्मीद करें और कैसे निपटें

जैसे ही आप अपने नियत तिथि के करीब आते हैं, तो प्रसव के लिए तैयार होने से आप अधिक आश्वस्त और नियंत्रित महसूस करते हैं। प्रसव की तैयारी के दौरान उच्च रक्तचाप को संभालना ,शिशु और माँ,दोनों की सेहत के लिए महत्वपूर्ण है। नियमित देखरेख और दवाइयों से रक्तचाप संभाला जा सकता है।

एक जन्म योजना का होना भी आवश्यक है क्यूंकि उसमें आपके दर्द प्रबंधन,प्रसव के पोजीशन और प्रसवोपरांत देखभाल के चुनावों के बारें में बताया गया होता है।

याद रखें कि शिशु-जन्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और आपका शरीर इसके लिए विकसित हुआ है। अपने शिशु के जन्म के लिए अपने शरीर के काबिलियत पर विश्वास रखें और जानें कि आपके सामने जो भी स्थिति 
आये,आपमें उसको संभालने की ताकत और लचीलापन मौजूद है।

प्रसव के पड़ावों के दौरान आपके सहायता समूह की भूमिका

जैसे-जैसे आप प्रसव के पड़ावों की तरफ बढ़ते हैं तो आपके आस-पास एक मजबूत सहायता समूह के होने से बहुत फर्क पड़ता है।  भले ही वह आपका साथी हो या कोई नज़दीकी परिवार का सदस्य, लगातार मिल रहे भावनात्मक और शारीरिक सहायता से आप जन्म देने की प्रक्रिया के दौरान अधिक सशक्त और नियंत्रित महसूस करेंगे। आपके सहायता के लिए आया व्यक्ति,आपके दर्द और घबराहट को संभालने के लिए, आपको प्रोत्साहन के कुछ शब्द बोल सकता है ,थोड़ी मालिश कर सकता है और साथ ही,सांस लेने की प्रक्रिया में भी मदद कर सकता है। जैसे ही आप हर पड़ाव में आगे बढ़ते जाते हैं,तो आपकी सहायता समूह ,आपको प्रोत्साहन देंगे और एक आरामदेह उपस्थिति प्रदान करेंगे।

एक सकारात्मक जन्म देने के अनुभव के लिए अपने चिकित्सक के साथ काम करें

अपने चिकित्सक के साथ नियमित और खुली बातचीत रखना, सकारात्मक जन्म देने के अनुभव की कुंजी है।  गर्भधारण के पहले दी जाने वाले क्लासेज से आपको जन्म देने की प्रक्रिया को समझने में , विश्वास बनाने में और आगे जो होगा ,उसके लिए तैयार होने में बहुत मदद मिलेगी।

जब आप तैयारी कर रहे हो,तो अपने चिकित्सक से जन्म योजना की चर्चा करना ज़रूरी है। इस योजना से आपको भ्रूण निगरानी ,जन्म देने की प्रक्रिया में मशीनों का उपयोग, और आंतरिक जांच जैसे प्राथमिकताएं शामिल होंगे। आपके चिकित्सक, ख़तरे,फायदे और दर्द-प्रबंधन जैसे विकल्पों पर अधिक सूचित निर्णय लेने में मदद करते हैं।

जैसे आप अपने शिशु का इस दुनिया में स्वागत करने की तैयारी करते हैं ,प्रसव के 4 पड़ावों का अनुभव,एक अद्भुत,कठिन और उत्साहपूर्ण यात्रा महसूस होती है। प्रसव में जाने से लेकर डिलीवरी और रिकवरी तक, इस अनुभव का हर पड़ाव ज़रूरी है। अपने सहायता-समूह पर भरोसा रखें और अपने चिकित्सक के विशेषज्ञता पर भरोसा रखें जिससे कि आपको प्रसव की प्रक्रिया में सहजता महसूस हो। 

प्रसव के पड़ावों से सम्बंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रसव के कितने पड़ाव होते हैं ?

प्रसव के चार भिन्न पड़ाव होते हैं : पहला पड़ाव (निष्क्रिय और सक्रिय ),दूसरा पड़ाव ( धकेलना और जन्म देना ), तीसरा पड़ाव (नाल की डिलीवरी ) और चौथा पड़ाव (रिकवरी)।

प्रसव के प्रारम्भिक पड़ाव कितने समय तक रह सकते हैं ?

प्रसव के प्रारम्भिक पड़ाव,खासतौर पर पहले पड़ाव का निष्क्रिय चरण ,हर महिला में भिन्न होता है। यह कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक चल सकता है , जिसमें नियमित और तीव्र होते संकुचन का अनुभव हो सकता है।

प्रसव के पहले पड़ाव पर क्या शारीरिक बदलाव आते हैं ?

प्रसव के पहले पड़ाव पर, सर्विक्स फैलना शुरू करता है और संकुचन के कारण पतला होता जाता है। इस पड़ाव पर सर्विक्स साधारणतः 0 से 10 से.मी. तक फैलता है।

प्रसव के पहले पड़ाव की औसतन अवधि क्या होती है ?

पहली बार जन्म दे रही माताओं के लिए प्रसव का पहला पड़ाव औसतन 12-18 घंटों तक चलता है और दोबारा जन्म देने वाली माताओं की 8-12 घंटे का समय लगता है। हालांकि, यह समय हर व्यक्ति के लिए विभिन्न हो सकता है।

प्रसव के पहले और दूसरे पड़ावों को संभालने के लिए कुछ तकनीकें क्या हो सकती है ?

प्रसव के पहले और दूसरे पड़ावों को संभालने के लिए कुछ तकनीकों में आराम देने वाली प्रक्रियाएं ,प्राणायाम , पोजीशन में बदलाव ,हायड्रोथेरपी, और नाइट्रस ऑक्साइड या एपीड्यूरल या मालिश और एक्यू-प्रेशर जैसे प्राकृतिक विकल्पों वाले दर्द-मुक्ति विकल्प शामिल हैं।

प्रसव के तीसरे पड़ाव में क्या जटिलताएं हो सकती हैं ?

प्रसव के तीसरे पड़ाव में प्रसवोत्तर रक्तस्त्राव,नाल का गर्भ में रह जाना या गर्भाशय का पलट जाने जैसी जटिलताएं हो सकती है। यह जटिलताएं कम ही अवसरों पर होती हैं पर इन्हे सटीक चिकित्सीय निगरानी की आवश्यकता होती है।